लोकतंत्र का पाया: मीडिया समूह के संपादक जनाब शमशाद अली मसूदी से खास बातचीत
1 min read
रिपोर्टर: स्वदेश प्रेम, राष्ट्रीय हिंदी समाचार पत्र
सवाल 1: आगामी चुनाव में राजनीतिक पार्टियों के प्रचार को आप किस दृष्टि से देखते हैं?
जनाब शमशाद अली मसूदी: आगामी चुनाव में सभी पार्टियां बड़े वादे कर रही हैं, लेकिन असली मुद्दे कहीं न कहीं गायब हैं। प्रचार में धन और शक्ति का प्रदर्शन तो होता है, लेकिन जमीनी हकीकत पर काम करने की प्रतिबद्धता अक्सर नजर नहीं आती। मीडिया का दायित्व है कि वह केवल बड़े नेताओं की रैलियों तक सीमित न रहे, बल्कि स्थानीय मुद्दों और जनता की आवाज को भी प्राथमिकता दे।
सवाल 2: पत्रकारों को आज किस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है?
जनाब शमशाद अली मसूदी: पत्रकारों के लिए सबसे बड़ी समस्या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में बाधा है। बड़े मीडिया हाउस कॉरपोरेट दबाव में काम कर रहे हैं, जिससे कई बार सच्चाई सामने नहीं आ पाती। छोटे पत्रकारों के लिए तो संसाधनों की कमी और सुरक्षा का अभाव भी गंभीर मुद्दा है। इसके अलावा, रिपोर्टिंग के दौरान पत्रकारों को सटीक जानकारी तक पहुंचने में भी मुश्किलें होती हैं।
सवाल 3: आपके विचार में कौन सी खबरें अक्सर कम कवरेज पाती हैं?
जनाब शमशाद अली मसूदी: ग्रामीण और हाशिए पर पड़े समाजों की समस्याएं सबसे कम कवरेज पाती हैं। दिल्ली जैसे बड़े शहरों में भी झुग्गी-झोपड़ी वाले इलाकों की परेशानियां या मजदूर वर्ग के मुद्दे मीडिया की प्राथमिकता में नहीं आते। इसके अलावा, पर्यावरण और शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विषय भी प्राइम टाइम कवरेज से बाहर रहते हैं।
सवाल 4: दिल्ली वासियों की सबसे बड़ी समस्याएं क्या हैं, और इन पर क्या किया जाना चाहिए?
जनाब शमशाद अली मसूदी: दिल्ली की सबसे बड़ी समस्या आज भी बुनियादी सुविधाएं हैं। जल संकट, प्रदूषण, और ट्रैफिक जाम जैसे मुद्दे हर आम आदमी को प्रभावित करते हैं। झुग्गी क्षेत्रों में रहने वालों को स्वच्छ पानी और स्वास्थ्य सुविधाएं तक नहीं मिल पातीं। इसके अलावा, युवाओं के लिए रोजगार एक गंभीर समस्या है। सरकार को इन समस्याओं पर विशेष ध्यान देना चाहिए और नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू करना चाहिए।
सवाल 5: आप मीडिया की भूमिका को कैसे देखते हैं, विशेषकर चुनावी माहौल में?
जनाब शमशाद अली मसूदी: मीडिया को जनता और सरकार के बीच पुल का काम करना चाहिए। लेकिन आज का मीडिया प्रोपेगेंडा और टीआरपी के चक्कर में असली मुद्दों से भटक रहा है। मीडिया की भूमिका केवल खबर देना नहीं है, बल्कि सत्ता से सवाल पूछना और जनता को सच्चाई से अवगत कराना भी है। खासकर चुनावी समय में, मीडिया को निष्पक्षता के साथ जनता की समस्याओं को उठाना चाहिए।
सवाल 6: आप स्वदेश प्रेम जैसे राष्ट्रीय हिंदी समाचार पत्रों की भूमिका को कैसे देखते हैं?
जनाब शमशाद अली मसूदी: स्वदेश प्रेम जैसे समाचार पत्र आज के समय में एक नई उम्मीद हैं। यह छोटे और स्थानीय मुद्दों पर ध्यान देते हैं, जो मुख्यधारा की मीडिया अक्सर अनदेखा करती है। ये अखबार आम जनता की आवाज बनकर उभर रहे हैं, और मुझे खुशी है कि ये पत्रकारिता के असली मायने को जिंदा रखे हुए हैं।
रिपोर्टर का निष्कर्ष:
जनाब शमशाद अली मसूदी ने पत्रकारिता की सच्चाई और उसकी चुनौतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने न केवल राजनीतिक पार्टियों के प्रचार की आलोचना की, बल्कि मीडिया की जिम्मेदारियों पर भी चर्चा की। उनका मानना है कि मीडिया को निष्पक्ष रहकर जनता की समस्याओं और सच्चाई को सामने लाने के लिए काम करना चाहिए।
यह इंटरव्यू स्वदेश प्रेम समाचार पत्र के पाठकों के लिए प्रेरणादायक और जानकारीपूर्ण है
रिपोर्टर- अतीक अशरफी