संविधान दिवस विशेष: हाई कोर्ट के एडवोकेट आफताब फाजिल का स्वदेश प्रेम से विशेष संवाद
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रिपोर्टर: निशा खान
प्रकाशन: स्वदेश प्रेम, राष्ट्रीय साप्ताहिक समाचार पत्र
नई दिल्ली, 26 नवंबर 2024
संविधान दिवस के अवसर पर स्वदेश प्रेम की टीम ने हाई कोर्ट के प्रख्यात एडवोकेट आफ़ताब फाजिल से विशेष बातचीत की। इस इंटरव्यू में उन्होंने भारतीय संविधान के महत्व, उसके वर्तमान संदर्भ और समाज में कानून की भूमिका पर अपने विचार साझा किए। उनकी स्पष्टता और तर्कशीलता ने इस संवाद को अत्यंत प्रेरणादायक बना दिया।
संविधान का महत्व और अद्वितीयता :
स्वदेश प्रेम : संविधान दिवस पर आप हमारे पाठकों को भारतीय संविधान की विशेषताओं के बारे में क्या बताना चाहेंगे?
एडवोकेट आफ़ताब फाजिल : भारतीय संविधान न केवल एक दस्तावेज है, बल्कि यह हमारे लोकतंत्र की आत्मा है। यह दुनिया का सबसे विस्तृत और समावेशी संविधान है, जिसने भारत जैसे विविधतापूर्ण देश को एकता के सूत्र में बांधा। यह हमें अधिकार देता है, लेकिन साथ ही हमारे कर्तव्यों की भी याद दिलाता है। यह हर भारतीय नागरिक के लिए समानता, स्वतंत्रता और न्याय सुनिश्चित करता है।
संविधान और वर्तमान चुनौतियां :
स्वदेश प्रेम: वर्तमान समय में संविधान के समक्ष कौन-कौन सी प्रमुख चुनौतियां खड़ी हैं?
एडवोकेट आफ़ताब फाजिल : आज संविधान की सबसे बड़ी चुनौती इसे सही मायनों में लागू करना है। हालांकि, हमारे पास मजबूत कानूनी प्रावधान हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर जागरूकता की कमी और प्रशासनिक लापरवाही संविधान के उद्देश्यों को कमजोर करती हैं। हाल ही में, धार्मिक, जातीय और सामाजिक तनाव बढ़े हैं, जो संविधान की धर्मनिरपेक्षता और समानता के सिद्धांतों को चुनौती देते हैं। हमें यह समझने की जरूरत है कि संविधान के पालन में ही हमारा और हमारे देश का भविष्य सुरक्षित है।
कानून में सुधार और नागरिकों की भूमिका :
स्वदेश प्रेम: आप कानून में सुधार और नागरिकों की भूमिका को कैसे देखते हैं?
एडवोकेट आफ़ताब फाजिल : कानून समय के साथ बदलता है और यही इसकी खूबी है। हमें समयानुकूल बदलाव के लिए संवैधानिक संस्थाओं को मजबूत करना होगा। दूसरी बात, आम नागरिकों को भी अपनी जिम्मेदारियों को समझना होगा। केवल अधिकारों की मांग करना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि अपने कर्तव्यों का पालन करना भी उतना ही जरूरी है। उदाहरण के लिए, अगर हम संविधान को पढ़ें और उसके सिद्धांतों को अपने जीवन में अपनाएं, तो समाज स्वतः ही बदल जाएगा।
संविधान के प्रति युवाओं की जिम्मेदारी :
स्वदेश प्रेम: युवा वर्ग संविधान के प्रति अपनी जिम्मेदारी कैसे निभा सकता है?
एडवोकेट आफ़ताब फाजिल : युवाओं के पास परिवर्तन लाने की शक्ति है। संविधान की जानकारी और उसके महत्व को समझकर वे समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। युवाओं को यह समझना होगा कि संविधान केवल कोर्ट रूम तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा है। किसी भी अन्याय या अधिकार हनन के खिलाफ आवाज उठाना हर युवा की जिम्मेदारी है।
संविधान दिवस का संदेश :
स्वदेश प्रेम: आखिर में, संविधान दिवस पर आप देशवासियों को क्या संदेश देना चाहेंगे?
एडवोकेट आफ़ताब फाजिल : मेरा सभी देशवासियों से अनुरोध है कि संविधान को केवल पढ़ें ही नहीं, बल्कि इसे समझें और इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाएं। संविधान न केवल हमारे अधिकारों का सुरक्षा कवच है, बल्कि यह हमारी भारतीयता का परिचय भी है। अगर हम संविधान के मूल सिद्धांतों को अपनाएंगे, तो भारत दुनिया में एक आदर्श लोकतंत्र बनकर उभरेगा।
संविधान दिवस पर एडवोकेट आफ़ताब फाजिल के विचार न केवल प्रेरणादायक हैं, बल्कि वे हमें अपने कर्तव्यों और अधिकारों के प्रति जागरूक भी करते हैं। स्वदेश प्रेम, राष्ट्रीय साप्ताहिक समाचार पत्र उनकी इस प्रेरणादायक बातचीत को अपने पाठकों के लिए प्रस्तुत करते हुए गर्व महसूस करता है।