January 22, 2025

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धन्नीपुर मस्जिद निर्माण: कोर्ट का फ़ैसला, पर ज़मीन पर अब भी सन्नाटा

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अयोध्या से लगभग 20 किलोमीटर दूर स्थित धन्नीपुर गाँव, जो सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक निर्णय के बाद चर्चा में आया था, अब एक बार फिर सुर्खियों में है। मस्जिद निर्माण के लिए आवंटित पांच एकड़ ज़मीन पर तीन साल बाद भी निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है।

2019 में सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि विवाद पर अपना फैसला सुनाते हुए विवादित ज़मीन राम मंदिर के लिए दी और मुस्लिम पक्ष को मस्जिद निर्माण के लिए वैकल्पिक ज़मीन आवंटित करने का आदेश दिया था। सरकार ने 2020 में सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड को धन्नीपुर गाँव में यह ज़मीन सौंप दी। लेकिन तीन साल बाद भी यह परियोजना केवल कागजों तक ही सीमित है।

फ़ंड की कमी बनी रोड़ा

मस्जिद निर्माण का जिम्मा इंडो-इस्लामिक कल्चरल फ़ाउंडेशन (आईआईसीएफ़) नामक ट्रस्ट को सौंपा गया था। ट्रस्ट के अध्यक्ष ज़ुफ़र फ़ारूक़ी ने बताया कि इस परियोजना को पूरा करने के लिए 100 करोड़ रुपए की आवश्यकता है। हालांकि, फ़ंड जुटाने के लिए बनाई गई समिति को हाल ही में भंग कर दिया गया, क्योंकि वह अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो पाई।

आईआईसीएफ़ के सचिव अतहर हुसैन ने कहा कि फंडिंग की चुनौती सबसे बड़ी बाधा बन गई है। मुंबई के रहने वाले हाजी अराफ़ात शेख़, जिन्हें फंड जुटाने का जिम्मा सौंपा गया था, ने इस मामले पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और बोर्ड के अध्यक्ष से संपर्क करने की सलाह दी।

मौजूदा स्थिति

धन्नीपुर में मस्जिद के लिए आवंटित ज़मीन पर अभी भी सन्नाटा पसरा हुआ है। हाईवे से महज 200 मीटर दूर स्थित इस स्थल पर किसान मवेशी चराते और स्थानीय लोग टेंट सुखाते नजर आते हैं। वहीं, एक दरगाह पर इक्का-दुक्का लोग अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं।

राम मंदिर बनाम मस्जिद निर्माण

जहाँ एक ओर अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कार्य तेज़ी से पूरा हो रहा है और मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा को जल्द ही एक वर्ष पूरा होने वाला है, वहीं मस्जिद निर्माण का कार्य अब भी आरंभ नहीं हो सका है।

अवाम की राय और सवाल

इस देरी ने स्थानीय लोगों और मुस्लिम समुदाय के बीच कई सवाल खड़े कर दिए हैं। आखिर सुप्रीम कोर्ट के आदेश और ज़मीन आवंटन के बावजूद मस्जिद का निर्माण क्यों रुका हुआ है? फ़ंडिंग और प्रशासनिक समस्याओं का समाधान कब होगा?

भविष्य की उम्मीदें

सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड और आईआईसीएफ़ को इस परियोजना को सफल बनाने के लिए फंड जुटाने और प्रशासनिक प्रयासों को तेज़ करने की जरूरत है। यह मस्जिद न केवल सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह देश में न्यायपालिका के ऐतिहासिक फैसले के क्रियान्वयन का प्रतीक भी है।

स्वदेश प्रेम ब्यूरो

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