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संभल जामा मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का निर्देश: निचली अदालत को रोक, हाईकोर्ट से होगी सुनवाई

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नई दिल्ली, 29 नवंबर 2024
संभल जामा मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश पर रोक लगाते हुए कुछ महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए हैं। मामले की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए सर्वोच्च अदालत ने ट्रायल कोर्ट को इस मामले में आगे कोई कार्रवाई करने से मना किया है। इसके साथ ही याचिकाकर्ताओं को यह मामला उचित मंच, यानी हाईकोर्ट में उठाने का निर्देश दिया गया है।

मस्जिद समिति की याचिका और सुप्रीम कोर्ट का दृष्टिकोण

जामा मस्जिद समिति ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर निचली अदालत द्वारा मस्जिद का सर्वे कराने के आदेश को चुनौती दी थी। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने याचिकाकर्ताओं को सलाह दी कि उन्हें पहले यह मामला हाईकोर्ट में पेश करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि हाईकोर्ट इस मामले की सुनवाई याचिका दाखिल होने के तीन दिनों के भीतर प्रारंभ करे।

एडवोकेट कमिश्नर की रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश

निचली अदालत के निर्देशानुसार एडवोकेट कमिश्नर द्वारा मस्जिद का सर्वे किया गया था। इस सर्वेक्षण के दौरान, 24 नवंबर को, क्षेत्र में हिंसा भड़क गई, जिसमें चार लोगों की मृत्यु हो गई और कई अन्य घायल हुए। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि एडवोकेट कमिश्नर की सर्वे रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में रखा जाए और फिलहाल इसे सार्वजनिक न किया जाए।

जल्दबाजी पर सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी

सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले पर नाराजगी जताते हुए कहा कि ऐसे संवेदनशील मामलों में जल्दबाजी में कोई कदम उठाना सही नहीं है। अदालत ने उत्तर प्रदेश प्रशासन को कानून-व्यवस्था बनाए रखने और समाज में सौहार्द और शांति स्थापित करने के लिए शांति समिति गठित करने का निर्देश दिया।

विवाद का ऐतिहासिक संदर्भ

संभल जामा मस्जिद विवाद हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच ऐतिहासिक और धार्मिक दावों का केंद्र रहा है। हिंदू पक्ष का दावा है कि मस्जिद को एक प्राचीन हरिहर मंदिर को तोड़कर बनाया गया था। उनका यह भी कहना है कि 1526 में मुगल शासक बाबर ने इस स्थान पर मंदिर नष्ट कर मस्जिद का निर्माण कराया।

19 नवंबर 2024 को निचली अदालत ने मस्जिद का सर्वे करने का आदेश दिया था। इसके बाद 24 नवंबर को सर्वे के दौरान क्षेत्र में हिंसा भड़क उठी।

शांति बनाए रखने की अपील

सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों से आग्रह किया है कि वे न्यायिक प्रक्रिया में विश्वास बनाए रखें और संवेदनशील मामलों में कोई ऐसा कदम न उठाएं जिससे समाज की शांति और सद्भाव बिगड़े।

निष्कर्ष

संभल जामा मस्जिद विवाद में सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप यह सुनिश्चित करने का प्रयास है कि मामले को न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाया जाए। सभी की निगाहें अब हाईकोर्ट की आगामी सुनवाई पर हैं, जो इस विवाद के समाधान की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगी।

(यह लेख स्वदेश प्रेम समाचार पत्र और संवाददाताओं की रिपोर्ट के आधार पर लिखा गया है।)

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