“दिल्ली का ट्रैफिक जाम: अवैध वाहनों और भ्रष्टाचार पर प्रशासन क्यों खामोश?”
1 min readस्वदेश प्रेम ,सावांदाता
दिल्ली की सड़कों पर हर दिन ट्रैफिक जाम और अराजकता का जो दृश्य दिखता है, वह केवल एक अव्यवस्था नहीं है, बल्कि एक संगठित अपराध का हिस्सा है। अवैध वाहन, ट्रैफिक बिचौलियों और पुलिस के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत ने इसे एक ऐसी समस्या बना दिया है, जिसे नज़रअंदाज करना मुश्किल है।
कैसे चलता है ये नेटवर्क?
दिल्ली की सड़कों पर ट्रैक्टर, ऑटो और अन्य सवारी गाड़ियां, जिनके पास सही परमिट तक नहीं होते, खुलेआम दौड़ती हैं। इन वाहनों को सड़कों पर बनाए रखने के लिए “तफ्तीशी” नामक बिचौलिए काम करते हैं। ये बिचौलिए वाहन चालकों से पैसा लेते हैं और बदले में सुनिश्चित करते हैं कि पुलिस उन्हें रोककर परेशान न करे।
नंद नगरी इलाके में ऐसे ही एक बिचौलिए, अजय त्यागी, ने न्यूज़लॉन्ड्री के रिपोर्टर से बात करते हुए खुलासा किया कि वह “सबको खुश” रखने के लिए काम करता है। त्यागी का दावा है कि उसके इलाके में पुलिस का दखल न के बराबर है क्योंकि वह हर महीने रिश्वत देकर उन्हें संतुष्ट करता है।
जितेंद्र की कहानी: मजबूरी का फायदा उठाने का खेल
जितेंद्र, जो एक ट्रैक्टर चालक है, हर महीने 6,000 रुपये तफ्तीशियों को देता है ताकि उसका वाहन पुलिस की रोक-टोक के बिना चल सके। वह कहता है, “अगर आप पैसे नहीं देंगे, तो गाड़ी चलाना नामुमकिन हो जाएगा।” जितेंद्र जैसे ड्राइवर, जो पिछड़े तबके से आते हैं, के पास इन मांगों को मानने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता।
व्यवस्थित भ्रष्टाचार की जड़ें
दिल्ली पुलिस के पास निगरानी के लिए 2 लाख कैमरे, 350 ANPR (ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रीडिंग) कैमरे और 500 से ज्यादा चेकपॉइंट हैं। इसके बावजूद, सड़कों पर अवैध वाहनों की भरमार है। ट्रैफिक नियमों का यह उल्लंघन सिर्फ ट्रैफिक जाम का कारण नहीं बनता, बल्कि सड़क सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा है।
क्या कहते हैं आंकड़े?
टॉमटॉम की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में दिल्ली दुनिया के सबसे अधिक ट्रैफिक जाम वाले शहरों में से एक थी। सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार, हर दिन दिल्ली की सड़कों पर करीब 70 लाख वाहन चलते हैं। इन वाहनों में अवैध रूप से चलने वाले वाहनों की संख्या का एक बड़ा हिस्सा है, जो ट्रैफिक को और गंभीर बना देता है।
समस्या का समाधान क्या है?
1.पुलिस में जवाबदेही: दिल्ली पुलिस के कामकाज की सख्त निगरानी और भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई जरूरी है।
2.डिजिटल निगरानी: ट्रैफिक कैमरों और अन्य उपकरणों का सही उपयोग सुनिश्चित किया जाए।
3.बिचौलियों पर कार्रवाई: तफ्तीशी और अन्य बिचौलियों के नेटवर्क को तोड़ने के लिए स्पेशल टास्क फोर्स का गठन होना चाहिए।
4.वाहन चालकों को सशक्त बनाना: चालकों को इस व्यवस्था के खिलाफ खड़े होने के लिए जागरूक और सशक्त बनाना होगा।
अंतिम शब्द
दिल्ली का ट्रैफिक केवल एक प्रशासनिक समस्या नहीं है, यह हमारे सिस्टम में गहराई तक समाए भ्रष्टाचार का प्रमाण है। यह न केवल दिल्लीवासियों की जिंदगी को मुश्किल बना रहा है, बल्कि हमारे शहर की छवि को भी धूमिल कर रहा है। अब समय आ गया है कि संबंधित अधिकारी इस मुद्दे पर ठोस कदम उठाएं और दिल्ली की सड़कों को अवैध गतिविधियों से मुक्त करें।
(लेखक: स्वदेश प्रेम संपादकीय टीम)