दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट में वकीलों की भूख हड़ताल: अधिवक्ता सुरक्षा अधिनियम लागू करने की मांग
1 min readदिल्ली, 27 नवंबर 2024
दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट परिसर में वकीलों ने न्यायपालिका और प्रशासन का ध्यान आकर्षित करने के लिए भूख हड़ताल शुरू कर दी है। यह हड़ताल अधिवक्ता सुरक्षा अधिनियम को लागू करने और वकीलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग को लेकर हो रही है। वकीलों का कहना है कि देशभर में अधिवक्ताओं पर हो रहे हमलों से वे असुरक्षित महसूस कर रहे हैं, और अब उनकी सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाना आवश्यक हो गया है।
वकीलों की प्रमुख मांगें
1. अधिवक्ता सुरक्षा अधिनियम का तत्काल लागू होना
वकीलों की प्रमुख मांग है कि अधिवक्ता सुरक्षा अधिनियम को देशभर में लागू किया जाए। उनका कहना है कि इस अधिनियम के बिना वकीलों के लिए न्याय की लड़ाई लड़ना और आम जनता की सेवा करना मुश्किल हो गया है।
2. सुरक्षा के लिए ठोस उपाय
वकीलों का कहना है कि कोर्ट परिसर में उनकी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएं। कड़कड़डूमा कोर्ट परिसर में पहले भी वकीलों के साथ हिंसक घटनाएं हो चुकी हैं, जिसके चलते कोर्ट परिसर में भय और असुरक्षा का माहौल है।
3. अधिवक्ताओं के लिए विशेष हेल्पलाइन
वकीलों ने मांग की है कि अधिवक्ताओं की सुरक्षा के लिए एक विशेष हेल्पलाइन नंबर जारी किया जाए, जिससे वे किसी भी हमले या धमकी की स्थिति में तुरंत मदद मांग सकें।
4. न्यायपालिका और पुलिस की जवाबदेही तय हो
हड़ताल पर बैठे वकीलों का आरोप है कि जब भी वकीलों पर हमले होते हैं, प्रशासन और पुलिस की ओर से उचित कार्रवाई नहीं की जाती। उन्होंने न्यायपालिका और पुलिस की जवाबदेही तय करने की मांग उठाई है।
वकीलों का आक्रोश और सरकार की भूमिका
कड़कड़डूमा कोर्ट में भूख हड़ताल पर बैठे वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश शर्मा ने कहा:
“हम हर दिन न्याय की लड़ाई लड़ते हैं, लेकिन हमारी खुद की सुरक्षा के लिए कोई आवाज उठाने वाला नहीं है। अधिवक्ता सुरक्षा अधिनियम केवल हमारी सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि न्यायपालिका की गरिमा बनाए रखने के लिए भी आवश्यक है।”
हड़ताल के दौरान अधिवक्ता संघ ने सरकार को स्पष्ट चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों पर शीघ्र ध्यान नहीं दिया गया, तो वे राज्यव्यापी आंदोलन करेंगे।
अधिवक्ताओं पर बढ़ते हमले: आंकड़ों की भयावहता
हाल के वर्षों में अधिवक्ताओं पर हिंसक हमलों के मामले तेजी से बढ़े हैं। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे राज्यों में कोर्ट परिसरों के भीतर और बाहर वकीलों पर हमले हुए हैं। इन घटनाओं ने न्यायपालिका में काम कर रहे अधिवक्ताओं के प्रति संवेदनशीलता की कमी को उजागर किया है।
सामाजिक संगठनों और नागरिकों की प्रतिक्रिया
वकीलों की भूख हड़ताल को लेकर कई सामाजिक संगठनों और नागरिक समूहों ने समर्थन व्यक्त किया है। उनका कहना है कि वकीलों की सुरक्षा सुनिश्चित करना न्याय प्रणाली को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
सरकार और प्रशासन की प्रतिक्रिया
वकीलों की इस भूख हड़ताल पर सरकार की ओर से अभी तक कोई ठोस बयान नहीं आया है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि गृह मंत्रालय इस मुद्दे पर विचार कर रहा है और जल्द ही कोई ठोस निर्णय लिया जा सकता है।
निष्कर्ष और वकीलों की चेतावनी
वकीलों ने साफ कर दिया है कि अगर उनकी मांगें जल्द पूरी नहीं हुईं, तो आंदोलन और तेज होगा। भूख हड़ताल के साथ-साथ अधिवक्ता संघ ने कोर्ट का कामकाज भी प्रभावित करने की चेतावनी दी है।
यह हड़ताल सिर्फ वकीलों की सुरक्षा का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह पूरे न्यायपालिका तंत्र के लिए एक चेतावनी है। अधिवक्ता सुरक्षा अधिनियम लागू करना न केवल वकीलों की रक्षा करेगा, बल्कि न्याय पाने के अधिकार को भी मजबूत करेगा।
रिपोर्ट: समरीन सैय्यद