बड़ी खबर: झूठे आरोप में तोड़ा गया शफ़ीक़ अंसारी का घर, कोर्ट ने किया बरी
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स्वदेश प्रेम / मध्य प्रदेश
शोएब इदरीसी
मध्यप्रदेश में प्रशासन की मनमानी से एक परिवार बर्बाद, लेकिन अब कौन लौटाएगा उनका घर?
राजगढ़ (मध्यप्रदेश): झूठे आरोपों के चलते जेल में डाले गए और फिर बिना जांच-पड़ताल उनका घर जमींदोज कर दिया गया। यह कहानी है सारंगपुर निवासी शफ़ीक़ अंसारी और उनके परिवार की, जिन पर 4 मार्च 2021 को एक महिला ने दुष्कर्म का आरोप लगाया था। पुलिस ने बिना किसी ठोस जांच के शफ़ीक़, उनके बेटे एहसान और भाई इक़बाल को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया। मामला यहीं नहीं रुका—प्रशासन ने उनके 2 करोड़ की लागत से बने मकान को अवैध घोषित कर बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया।
कोर्ट ने किया बरी, लेकिन न्याय अधूरा!
अब राजगढ़ कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए शफ़ीक़ अंसारी और उनके परिजनों को बरी कर दिया। अदालत में पेश हुए सबूतों के आधार पर यह साफ हो गया कि महिला द्वारा लगाए गए आरोप झूठे थे। लेकिन अब सवाल यह उठता है कि जिन अधिकारियों ने बिना जांच किए कार्रवाई की, उनके खिलाफ कोई कदम क्यों नहीं उठाया गया?
प्रशासनिक गुंडागर्दी पर कब लगेगी लगाम?
शफ़ीक़ अंसारी का परिवार न केवल मानसिक और आर्थिक पीड़ा से गुजरा बल्कि उनका घर भी मलबे में तब्दील कर दिया गया। यदि कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया है, तो प्रशासन की जल्दबाजी और मनमानी के लिए कौन जिम्मेदार होगा?
इस मामले ने प्रशासन की कार्रवाई पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या लोकतंत्र में बिना किसी ठोस जांच के किसी निर्दोष का घर तबाह कर देना जायज़ है? क्या उन अधिकारियों पर कोई कार्रवाई होगी, जिन्होंने जल्दबाजी में बुलडोजर चला दिया? यह मामला कानून और न्याय व्यवस्था की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल छोड़ता है।