दिल्ली में सट्टे का अवैध कारोबार: पुलिस की मिलीभगत या सटोरियों के बुलंद हौसले?
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दिल्ली में सट्टे का अवैध कारोबार: पुलिस की मिलीभगत या सटोरियों के बुलंद हौसले?
स्वदेश प्रेम दिल्ली / ब्यूरो रिपोर्ट
राजधानी दिल्ली में सट्टे, जुए और तितली-कबूतर के अवैध कारोबार का नेटवर्क लगातार फल-फूल रहा है। प्रशासन की लाख कोशिशों के बावजूद इस गैरकानूनी धंधे पर रोक नहीं लग पा रही है। ताजा मामला उत्तरी दिल्ली के थाना तिमारपुर के लखनऊ रोड का है, जहां गुप्ता प्रोविजनल स्टोर और शारदा डेयरी के पास विशेष सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, जाकिर और वकील नामक व्यक्ति धड़ल्ले से सट्टे का अवैध धंधा चला रहे हैं।
स्थानीय पुलिस की मिलीभगत से फिर शुरू हुआ सट्टा कारोबार?
स्थानीय लोगों की शिकायत के बाद वरिष्ठ अधिकारियों को इस अवैध कार्य की जानकारी दी गई, जिसके बाद थाना पुलिस ने कार्रवाई कर अड्डे को बंद करा दिया। लेकिन यह कार्रवाई सिर्फ औपचारिकता साबित हुई क्योंकि विशेष सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, बीट ऑफिसर की मिलीभगत से यह सट्टा अड्डा फिर से चालू कर दिया गया है।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस अड्डे से मात्र कुछ ही कदमों की दूरी पर उत्तर जिला के दो एसीपी का ऑफिस स्थित है। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या वरिष्ठ अधिकारियों की जानकारी में यह सट्टा कारोबार चल रहा है, या फिर पुलिस की मिलीभगत से ही यह अवैध व्यापार फल-फूल रहा है?
स्थानीय लोग बोले— पुलिस के संरक्षण में चल रहा है धंधा
स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि बीट ऑफिसर और स्थानीय पुलिस की शह के बिना इस तरह का गैरकानूनी धंधा नहीं चल सकता। सट्टा संचालकों का दावा है कि उनकी पहुंच ऊपर तक है और कोई भी उनके काम को बंद नहीं कर सकता।
सूत्रों के मुताबिक, जो भी पत्रकार या मीडियाकर्मी इस अवैध कारोबार को उजागर करने की कोशिश करता है, उसे डराने-धमकाने की कोशिश की जाती है, ताकि कोई भी इस नेटवर्क के खिलाफ आवाज़ न उठा सके।
क्यों जरूरी है सट्टे के इस अवैध कारोबार को बंद कराना?
सट्टा एक ऐसा नशा है, जो व्यक्ति को बर्बादी की ओर धकेल देता है। जो लोग इस दलदल में फंस जाते हैं, वे अपराध की दुनिया में कदम रख देते हैं। यह अवैध धंधा सिर्फ पैसे की हानि नहीं पहुंचाता, बल्कि सामाजिक बुराइयों को भी जन्म देता है।
क्या होगी प्रशासन की अगली कार्रवाई?
अब देखना होगा कि क्या पुलिस प्रशासन इस मामले में कोई ठोस कदम उठाएगा या फिर यह कारोबार इसी तरह पुलिस की नाक के नीचे चलता रहेगा? इस पूरे मामले में आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी), 120बी (आपराधिक साजिश) और 188 (लोक सेवक के आदेश की अवज्ञा) के तहत कार्रवाई की जा सकती है।
स्थानीय लोगों में पुलिस की कार्यशैली को लेकर भारी आक्रोश है। लोगों का कहना है कि अगर पुलिस ईमानदारी से कार्रवाई करे, तो सट्टे जैसे अवैध धंधे पर पूरी तरह से रोक लगाई जा सकती है।
अब सवाल यह है कि क्या वरिष्ठ अधिकारी इस मामले में सख्त कदम उठाएंगे, या फिर यह अवैध कारोबार यूं ही चलता रहेगा?